A Simple Key For Shodashi Unveiled
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Tripura Sundari's kind is not merely a visible representation but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees by means of symbols to know deeper cosmic truths.
कर्तुं श्रीललिताङ्ग-रक्षण-विधिं लावण्य-पूर्णां तनूं
काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
Shodashi Goddess is probably the dasa Mahavidyas – the ten goddesses of wisdom. Her title implies that she could be the goddess who is often sixteen years outdated. Origin of Goddess Shodashi occurs soon after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.
They have been also blessings to get materialistic blessings from various Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened human beings Using the Shreechakra and in order to activate it, just one should chant the Shodashakshari Mantra, that's generally known as the Shodashi mantra. It is said for being equal to the many 64 Chakras set collectively, coupled with their Mantras.
The Tripurasundari temple in Tripura point out, regionally referred to as Matabari temple, was initially Started by Maharaja Dhanya Manikya in 1501, although it was in all probability a spiritual pilgrimage site for many hundreds of years prior. This peetham of electrical power was to begin with meant to certainly be a temple for Lord Vishnu, but as a consequence of a revelation which the maharaja had in a dream, He commissioned and installed Mata Tripurasundari within its chamber.
लक्ष्मी-वाग-गजादिभिः कर-लसत्-पाशासि-घण्टादिभिः
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
Her narratives normally spotlight her position from the cosmic battle versus forces that threaten dharma, therefore reinforcing her position for a click here protector and upholder of the cosmic purchase.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।